Wednesday 31 August 2016







       राक्षस असुर-
पताल मे रहने वाले सबसे पहले क्रम की आत्मा को हम साधारण भूत कहते है
असुर या राक्षसपाताल मे रहने वाला दुसरे क्रम का ताकतवर भूत है ।     ये भूत पर राज करता है।
 इसकी मुख्य खासियत :-
. ये घमन्डी होते है
. इन्हे जल्दी ही गुस्सा जाता है
. आदत से आलसी होते है ।  
. अपने मालिक की बात नही सुनते और सजा पाते है । 
. ब्लातकार जैसे अपराध मे सलिम्प्त रहते है ।
६ ज्यादातर इनकी आध्यात्म मे कोई रूची नही होती।  
. अपनी तकत से विस्फ़ोट करते या विस्फ़ोटक तबाही मे अनन्द प्राप्त करते है ।
इन्सान पर इनका असर 
. रात को नींद का ना आना पर दिन मे नींद आना 
. दूसरे को मारने का या नुक्सान पहुंचाने का मन करना
. किसी को पूजा या धार्मिक कार्य ना करने देना 
. शरीर मे खुजली का रहना
. भूख ना लगना 
. कान के पास लगातार अजीब आवाज़ का सुनना
. पूजा करते वक्त किसी के द्वारा छूने का अहसास होना
. पूजा के आसन के नीचे गीलापन का होना
. वातावरण मे गन्दी बास का होना या फ़िर किसी आवाज़ का लगातार होना. 
१०. नेत्र बन्द कर के समान फ़ैकना जिससे आवाज़ हो
११. लगातार टांगे हिला कर या पैर जमीन पर बजा कर ध्यान खींचना 
लगभग ५० प्रतिशत लोग असुर के द्वारा काबू मे है । हिंसा मे लिप्त ये लोग असुर के लिये काम करते है । राक्षस का कब्जा अगर गहरा हो तो ऐसे लोग विस्फ़ोट , ब्लातकार , हिंसा मे लिप्त रहते है तथा धार्मिक स्थलों को नुक्सान पहुंचाते है राक्षस अत्यधिक तामसी प्रविती का प्रतीक है और मनुष्य का भक्षण भी करता है


आदेश आदेश् अलख निरंजन गुरू गोरक्षनाथ जी को आदेश

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